उत्तराखंडउधम सिंह नगर

बिना परमिशन के आधा दर्जन से अधिक ट्रैक्टर ट्रालियों के साथ खेत से मिट्टी उठाने का किया प्रयास 

बिना परमिशन के आधा दर्जन से अधिक ट्रैक्टर ट्रालियों के साथ खेत से मिट्टी उठाने का किया प्रयास 

नानकमत्ता (दीपक भारद्वाज)- थाना क्षेत्र के ग्राम टुकड़ी में मिट्टी खनन माफियाओं ने देर रात बिना परमिशन के आधा दर्जन से अधिक ट्रैक्टर ट्रालियों के साथ खेत से मिट्टी उठाने का प्रयास किया। जिस पर ग्रामीण विरोध करते हुए खनन माफियाओं को बैरंग लौटा दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस की मिली भगत से मिट्टी खनन का कार्य चल रहा था। 112 पर सूचना देने के बाद पुलिस पहुंचने पर भी मिट्टी माफिया ने दोबारा मिट्टी उठाने का प्रयास किया। जानकारी के अनुसार ग्राम टुकड़ी थाना क्षेत्र में करीबन आधा दर्शन ट्रैक्टर ट्रालियों से ग्राम टुकड़ी डीलर सिंह के खेत से मिट्टी माफिया बिना प्रशासन की अनुमति के मिट्टी का उठान कर पास के गांव कैथुलिया में एक राइस मिल में मिट्टी डाल रहे थे। अवैध रूप से मिट्टी का खनन की सूचना गांव वालों को मिली तो गांव के उप प्रधान फूल सिंह समेत तमाम ग्रामीण मौके पर पहुंच गए और उन्होंने बिना अनुमति के मिट्टी खनन का विरोध शुरू कर दिया। ग्रामीणों ने थाने में फोन किया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। इसके बाद गांव के लोगों ने 112 पर सूचना देकर पुलिस को बुलाया तो उससे पहले ही माफिया ग्रामीणों के विरोध के चलते भाग गए। गांव के प्रधान फूल सिंह ने आरोप लगाया कि मा मिट्टी खनन का कार्य पुलिस और प्रशासन आ की मिली भगत से चल रहा है, थाने  का सरकारी. मिलता नहीं है, मिलता है तो पुलिस उठाती नहीं है। 112 पर सूचना के बाद पुलिस के पहुंचने के बाद भी मिट्टी माफियाओं ने पुलिस के वापस जाने के बाद अपना कार्य शुरू कर दिया लेकिन ग्रामीणों के विरोध के चलते उन्हें वापस लौटना पड़ा। विरोध करने वालों में कुलवंत सिंह, बच्चन सिंह, सुखवंत सिंह, मलकीत सिंह समेत दर्जनों ग्रामीण शामिल थे

धड़ल्ले से चल रहा अवैध मिट्टी खनन

नानकमत्ता। क्षेत्र में मिट्टी खनन कार्य पर रोक लगने के बावजूद भी माफिया बिना किसी डर के पुलिस और तहसील के अधिकारियों की मिलीभगत से मिट्टी का अवैध रूप से खनन कार्य कर रहे हैं, जिसे जहां सरकार को राजस्व का घाटा हो रहा है, गाँव की सड़क टूट रही हैं, ऑटोमेटिक मशीन के द्वारा घंटे में ही काफी मिट्टी का उठान कर लिया जाता है, कार्यवाही के नाम पर तहसील प्रशासन सिर्फ कुछ लोगों पर पेनल्टी लगाकर कार्य की खानापूर्ति कर लेता है।

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