कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में की प्रेस वार्ता
कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में की प्रेस वार्ता
मंत्री बोले- वन क्षेत्र में ट्रांसफर इंडस्ट्री को नहीं चलने दूंगा
देहरादून- कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता का आयोजन किया। मंत्री ने अपने विभाग से संबंधित विकास कार्यों को लेकर प्रेस वार्ता की। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए सरकार हर संभव काम कर रही है। हमारा प्रयास है कि आम आदमी को किस तरह से वनों से जोड़ा जाए, ताकि उसकी आजीविका बेहतर हो सके। 11हजार 230 वन पंचायत है, जिसके लिए 400 करोड़ रुपए घर घर मिशन चलाया जा रहा है। वन पंचायतों में फलदार पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ उन्होंने बताया कि हर्बल सेक्टर को मजबूत करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए लैब बनाने के लिए 1 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है। 21 प्रजातियों को प्रतिबंध रख रहे है। मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रयास किया गया है।
वनाग्नि के घटनाओं में जिला प्रधान को जोड़ा गया और वन्य जीव की घटनाओं में 21.67 प्रतिशत की कमी आई है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए विभाग की और कड़ी करवाई की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि तकनीकी शिक्षा में 8 इंजीनियरिंग कॉलेज में से 7 कॉलेज को कैंपस कॉलेज भी बनाया गया है। प्लेसमेंट में ज्यादा से ज्यादा ध्यान दिया गया है। 64% बच्चों को विभिन्न क्षेत्रों में प्लेसमेंट देने का काम किया है। भाषा विभाग के क्षेत्र में गढ़वाली कुमाऊनी, जौनपुरी, पंजाबी, हिंदी, उर्दू सभी भाषाओं को लेकर कुल 9 पुरस्कार अलग अलग देने का काम किया है। उत्तराखंड साहित्य पुरस्कार देने का विशेष काम साहित्यकार को देने का काम किया गया है। वन क्षेत्र में ट्रांसफर इंडस्ट्री को नहीं चलने दूंगा।
वनाग्नि के घटनाओं में जिला प्रधान को जोड़ा गया और वन्य जीव की घटनाओं में 21.67 प्रतिशत की कमी आई है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए विभाग की और कड़ी करवाई की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि तकनीकी शिक्षा में 8 इंजीनियरिंग कॉलेज में से 7 कॉलेज को कैंपस कॉलेज भी बनाया गया है। प्लेसमेंट में ज्यादा से ज्यादा ध्यान दिया गया है। 64% बच्चों को विभिन्न क्षेत्रों में प्लेसमेंट देने का काम किया है। भाषा विभाग के क्षेत्र में गढ़वाली कुमाऊनी, जौनपुरी, पंजाबी, हिंदी, उर्दू सभी भाषाओं को लेकर कुल 9 पुरस्कार अलग अलग देने का काम किया है। उत्तराखंड साहित्य पुरस्कार देने का विशेष काम साहित्यकार को देने का काम किया गया है। वन क्षेत्र में ट्रांसफर इंडस्ट्री को नहीं चलने दूंगा।