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गैरसैंण में बजट सत्र न कराने को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने कांग्रेसियों के साथ गांधी पार्क में रखा एक घंटे का सांकेतिक मौन व्रत 

गैरसैंण में बजट सत्र न कराने को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने कांग्रेसियों के साथ गांधी पार्क में रखा एक घंटे का सांकेतिक मौन व्रत
देहरादून- सरकार द्वारा गैरसैंण में बजट सत्र न कराने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने साथियों संग देहरादून के गांधी पार्क में महात्मा गांधी बापू की मूर्ति के समक्ष एक घंटे का सांकेतिक मौन व्रत रखा । मौन व्रत के समापन पर उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं ने रघुपति राघव राजा राम भजन गाकर धामी सरकार की सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना की। इस अवसर पर हरीश रावत ने कहा की यह मौन व्रत गैरसैंण व गैरसैणियत जो उत्तराखण्डियत ही है उसको समर्पित है। वर्तमान व्यवस्था द्वारा गैरसैंण की सतत् अवेहलना के विरोध में यह मौन व्रत है। हिमालयी राज्य की अवधारणा के साथ बने राज्य की सरकार को गैरसैंण में ठंड लग रही है। रावत ने कहा की अपनी ही पार्टी की सरकार द्वारा घोषित ग्रीष्मकालीन राजधानी में बजट सत्र का आयोजन न करना, विधानसभा द्वारा पारित संकल्प की भी अवहेलना है। इस अवसर पर उन्होंने कहा की मुख्यमंत्री के रूप में उन्हीं  के कार्यकाल में गैरसैंण में विधानसभा भवन बना, विधानसभा सत्र आयोजित हुए, भविष्य के बजट सत्र गैरसैंण में ही आयोजित होने का संकल्प भी पारित किया गया, रावत ने कहा कि उनके मौन व्रत का उद्देश्य सरकार को सद्बुद्धि आवे इसकी कामना के साथ एक प्रायश्चित भी है। उन्होंने कहा कि अब उन्हें ऐसा प्रतीत होता है कि शायद गैरसैंण में सैकड़ों करोड़ रुपया खर्च कर उन्होंने कोई भूल कर दी हो। जन भावना का सही आकलन न कर पाना भी एक भूल ही होती है। रावत ने कहा कि वर्तमान सरकार लगातार गैरसैंण की अनदेखी कर रही है और गैरसैंण को लेकर उत्तराखंड में व्याप्त चुप्पी से उन्हें अब ऐसा लगने लगा है कि गैरसैंण में यह सारे प्रयास जनभावना का सही आकलन नहीं था। यदि वास्तव में ऐसा है तो उनका यह मौन व्रत एक प्रायश्चित भी है।  रावत ने कहा कि देहरादून में सरकारी बजट सत्र और गैरसैंण में जन विकास बजट सत्र, जन भावना की अभिव्यक्ति का अभिनव प्रयास है जिसके लिए उत्तराखंड कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के सभी सहयोगी दलों को बधाई। कहा की यह उत्तराखंड का दुर्भाग्य ही है की यहां के जनप्रतिनिधियों को कुछ ज्यादा ही ठंड लगती है।रावत ने कहा की हिमाचल, मेघालय और दूसरे पहाड़ी प्रदेशों वाले विधायकों को देहरादून का ऑप्शन नहीं है, नहीं तो उनको भी ठंड लगती, उनके भाग्य में 12 महीने शिमला और शिलांग हैं। जिनको इस हिमालयी राज्य पर गवर्न करना है उनको ही ठंड लगती है। बजट सत्र की अवधि को लेकर भी रावत ने सवाल उठाए और कहा की प्रचंड बहुमत और डबल इंजन के सात साल बाद भी प्रदेश सरकार यदि गैरसैंण में कर्मचारियों, पुलिस कर्मियों एवं पत्रकारों के लिए मूलभूत व्यवस्थाएं तक जुटा पाने में समर्थ नहीं रही तो दोष किसको दिया जाए।
मौन व्रत के दौरान पूर्व काबीना मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी, महामंत्री (प्रशिक्षण) महेंद्र नेगी गुरुजी, मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी, राजेश चमोली ,शीशपाल सिंह बिष्ट, महानगर अध्यक्ष डॉक्टर जसविंदर गोगी, कर्नल मिन्हास, रजनीश जुयाल, पार्षद सुमित्रा ध्यानी ,राजेश परमार, हरिप्रसाद भट्ट, सुशील राठी, राजकुमार जायसवाल , जया शुक्ला, मनीष नागपाल, पूरन रावत,  पूनम कंडारी, श्याम सिंह चौहान,मनमोहन शर्मा,हेमंत उप्रेती, मदनलाल ,सुलेमान ,अनुराधा तिवारी, एस बी थापा, सुनीता गुप्ता, कमल रावत, ओम प्रकाश सती बबन , मनीष गर्ग, विनोद चौहान, विशाल डोभाल, प्रेम सिंह सौंन,ललित बिष्ट, वीरेंद्र पवार इत्यादि उपस्थित रहे।

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