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उत्तरकाशी: अस्सी गंगा घाटी के केलसू क्षेत्र में धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाई नागपंचमी 


उत्तरकाशी: अस्सी गंगा घाटी के केलसू क्षेत्र में धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाई नागपंचमी 



उत्तरकाशी (वीरेंद्र नेगी)- श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। इस तिथि पर नाग देवता की पूजा अर्चना की जाती है।  उत्तरकाशी जनपद के अस्सी गंगा घाटी केलसू क्षेत्र के ग्रामसभा भंकोली में आयोजित नागपंचमी के अवसर पर गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुरेश चौहान पहुंचे, नागपंचमी के अवसर पर अपने बीच पाकर ग्रामीणों ने विधायक का फूलमालाओं से भव्य स्वागत किया. जिस पर क्षेत्रीय विधायक सुरेश चौहान ने ग्रामीणों का अभिवादन करते हुए मेले का आनंद लिया।

केलसू क्षेत्र के भंकोली गांव में आयोजित नागपंचमी में नागदेवता मनेरी, नागदेवता औंगी, नागदेवता अगोड़ा, नागदेवता नौगांव और सर्पनाथ देवता ढासडा की देव डोलियों के साथ मेला आयोजित हुआ। रमणिक बुग्यालों से लाये गये ब्रह्मकमल पुष्प के साथ मेले में आए देव डोलियों की पुजा हुई उसके पश्चात ग्रामीणों द्वारा मेला करवाया गया जिसमें रासौ नृत्य के साथ सभी देव डोलियों का नृत्य हुआ, गांव के मेले में गांव की ध्याणियां एवं अन्य गांवों से आये लोगों ने मेले का आनंद लिया। वहीं भंकोली गांव की प्रधान  सोनम रावत एवं प्राधन प्रतिनिधि अनिल रावत सहित गांव के लोगों ने रात्रि के समय संगीत संध्या आयोजित करवाई जिसमें उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध लोकगायक महेंद्र चौहान की टीम ने सांस्कृतिक संध्या में लोगों का मनोरंजन किया।

मेले में पहुंचे क्षेत्रीय विधायक सुरेश चौहान ने संबोधित करते हुए गंगोत्री विधानसभा में हुए विकास कार्य गिनाए तथा केलसू क्षेत्र के विकास के लिए अपनी हमेशा साथ खड़ा रहने की बात कही। वही विधायक ने सभी ग्रामवासियों एवं मेले में मौजूद सभी मेलार्थियों को नागपंचमी की बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की।

कई भारतीय पौराणिक कथाओं में नाग और मनुष्य का गहरा संबंध बताया गया है। माना जाता है कि शेषनाग के सहस्त्र फनों पर ही पृथ्वी का भार है। वर्षा ऋतु में जब सांपों के बिल में पानी भर जाता है तो वह बाहर निकल आते हैं और तब उन्हें मारा न जाए नागदेव का पूजन भी उसी परंपरा की कडी है। सर्प या नाग नियंत्रण करते हैं। भारत में कृषि जीविका का मुख्य जरिया रहा है और चूहे खेती में बहुत नुकसान पहुंचाते है। नाग चूहों का सफाया करके खेतों की रक्षा करते हैं और इस तरह संतुलन कायम करते हैं।

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