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उत्तरकाशी की पंचकोसी वारूणी यात्रा में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब 

उत्तरकाशी की पंचकोसी वारूणी यात्रा में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब 
उत्तरकाशी (वीरेंद्र सिंह नेगी)- 15 किलोमीटर लंबी पैदल पंचकोसी वारुणी यात्रा में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। मान्यता कुछ लोग नंगे पैर तो कुछ व्रत कर इस यात्रा को शुरू करते हैं।
धर्मनगरी उत्तरकाशी में सदियों से चलती आ रही हर साल चैत्र मास की त्रयोदशी को होने वाली पंचकोसी वारुणी यात्रा का अपना ही महत्व है। उत्तरकाशी शहर और गंगा भागीरथी से लगे वरुणावत पर्वत पर पंचकोसी वारुणी यात्रा की जाती है। 15 किलोमीटर की इस यात्रा में श्रद्धालु आस्था के साथ साथ कुदरत का भरपूर आनंद लेते हैं। बेहद खूबसूरत जंगलों के बीच से गुजरता रास्ता और वरुणावत शीर्ष से हिमालय की बर्फ से लदी चोटियों का विहंगम दृश्य देखने को मिलता है।
यात्रा की शुरुआत उत्तरकाशी के बड़ेथी से होती है। जहां श्रद्धालु पौराणिक मणिकर्णिका घाट या बड़ेथी में वरुण गंगा नदी और गंगा भागीरथी के संगम पर स्नान कर अपनी यात्र आरंभ करते हैं।  यहां श्रद्धालु सुबह स्नान कर अपनी यात्रा शुरू कर देते हैं. कुछ लोग नंगे पैर तो कुछ व्रत कर इस यात्रा को शुरू करते हैं। लगभग 15 किलोमीटर की इस यात्रा में पहला गांव बसूंगा पड़ता है। जहां बासू कंडार का मंदिर है। ग्रामीण यहां सभी श्रद्धालुओं का स्वागत करते हैं और श्रद्धालु बासू कंडार का आशीर्वाद लेकर आगे बढ़ते हैं, जिसके बाद साल्ड गांव में जगन्नाथ और अष्टभुजा ज्वाला देवी के मंदिर, ज्ञाणजा में ज्ञानेश्वर महादेव एवं व्यास कुंड के दर्शन कर श्रद्धालु वरुणावत के शीर्ष पर पहुंचते हैं। जहां से उत्तरकाशी शहर, गंगा भागीरथी की और गंगोरी अस्सी गंगा व भागीरथी नदी के निकट एक भव्य मंदिर महादेव मंदिर में सभी श्रद्धालु इस यात्रा का समापन करते है।

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