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लेपर्ड की खाल तस्करी करते एक तस्कर गिरफ्तार, 2  खालें बरामद 

 

लेपर्ड की खाल तस्करी करते एक तस्कर गिरफ्तार, 2  खालें बरामद 

उत्तरकाशी (वीरेंद्र नेगी)- पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड, अभिनव कुमार द्वारा उत्तराखंड पुलिस को राज्य में मानव सम्बन्धी अपराधों के साथ-साथ वन्य जीव व जीवों के अंगों की तस्करी को गंभीरता से लेते हुये उसके नियंत्रण व प्रभावी रोकथाम के निर्देश दिये गये हैं, इसी क्रम में उत्तरकाशी के पुलिस कप्तान अर्पण यदुवंशी द्वारा जनपद में वन्य जीव एवं जीवों के अंगों  की तस्करी के प्रति संवेदनशीलता बरतते हुये तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये हैं, जिसके तहत जनपद में पुलिस व एसओजी की टीमें संदिग्ध तत्वों, तस्करों, माफियाओं को चिन्हित कर उन पर लगातार कार्यवाही कर रही है। एसओजी उत्तरकाशी द्वारा गहन सुरागरसी पतारसी करते हुये एक सटीक जानकारी जुटायी गयी।

जिस पर पुलिस उपाधीक्षक उत्तरकाशी/ऑपरेशन प्रशान्त कुमार द्वारा एसओजी प्रभारी  प्रकाश राणा, थानाध्यक्ष पुरोला मोहन कठैत एवं वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल व्यूरो दिल्ली (WCCB) की एक संयुक्त टीम गठित की गयी। टीम द्वारा कल  देर रात्रि को जाल बुनते हुये थाना पुरोला क्षेत्र से देहरादून- नौगांव राष्ट्रीय राजमार्ग पर जरड़ाखड्ड के पास से वरुण उर्फ लक्की नामक तस्कर को लैपर्ड की खाल की तस्करी करते हुये गिरफ्तार किया गया, जिसके कब्जे से 02 खालें बरामद हुयी हैं।पुलिस द्वारा वन्य जीव की खाल की तस्दीक हेतु वन विभाग की टीम को मौके पर बुलाया गया।

गिरफ्तारी और बरामदगी के आधार पर अभियुक्त वरुण के विरुद्ध थाना पुरोला पर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 9/51 के तहत अभियोग पंजीकृत किया गया,मामले में अग्रिम विधिक कार्यवाही जारी है। अभियुक्त के आपराधिक इतिहास की जानकारी जुटाई जा रही है। तस्कर  को आज  न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
तस्कर खालों को रिखनाड़ लाखामंडल के जंगलों से लाकर तराई के एरिया में उच्च दामों पर बेचने के लिये ले जा रहा था, जिसको एसओजी व पुलिस की टीम ने देर रात्रि को दबोच लिया।

पुलिस कार्यालय उत्तरकाशी में आयोजित पत्रकार वार्ता में सीओ प्रशान्त कुमार ने बताया कि हमारी एसओजी की टीम पिछले कई दिनों से इसकी निगरानी कर रही थी, जिसमें कल रात को टीम को तस्कर वरुण (लक्की ) को पकडने में कामयाबी हाथ लगी है, लैपर्ड/गुलदार वन्य जीव की दुर्लब होने वाली प्रजातियों मे एक है, वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची 1 मे इसे उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्राप्त वन्य जीव प्रजातियों  में रखा गया है।

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