उत्तराखंड

दून ठेकेदार कल्याण समिति ने निविदा और कार्यों का बहिष्कार कर दिया एक दिवसीय सांकेतिक धरना 

दून ठेकेदार कल्याण समिति ने निविदा और कार्यों का बहिष्कार कर दिया एक दिवसीय सांकेतिक धरना 

 

देहरादून- प्रदेश ठेकेदार संघ के आह्वान पर दून ठेकेदार कल्याण समिति ने निविदा एवं कार्यों का बहिष्कार कर एक दिवसीय सांकेतिक धरना दिया। दून ठेकेदार कल्याण समिति के अध्यक्ष नैन सिंह पंवार ने बताया कि प्रदेश के विकास कार्य अपने साधन संसाधन से पूरा करके सरकार को मजबूत बनाने वाले पंजीकृत ठेकेदार कठिनाईयों का सामना कर रहे हैं। ठेकेदारों के शोषण के विरुद्ध ठेकेदारों ने 15 सूत्रीय मांगों को लेकर एक दिवसीय धरना देकर निविदाओं और कार्यों का बहिष्कार किया है।

 

कहा कि यदि हमारी मांगों का समाधान नहीं होता है तो तब तक कार्य बहिष्कार रहेगा। कहा कि प्रदेश में निविदायें छोटी लगनी चाहिए। फेज प्रथम और द्वितीय के कार्य छोटे हिस्सों में व्यक्त होकर एक साथ लगने चाहिए, जिससे डी और सी श्रेणी के ठेकेदार ज्यादा से ज्यादा काम कर सके। 5 करोड़ तक के कार्य सिंगल बिड में लगने चाहिये एवं 10 करोड़ तक के कार्य उत्तराखंड मूल के निवासियों को मिलना चाहिये। इसके मूल निवास / स्थायी निवास लागू होना चाहिये। कहा कि निविदाओं में अतिरिक्त शर्तें लगाकर व्यक्ति विशेष को लाभ नहीं दिया जाना चाहिये। पी०सी० कार्यों में हॉट मिक्स प्लांट मैटेरियल व पेवर मशीन को हटाया जाये। पी०सी० का इस्टीमेट 2 सेमी है पेवर का 3 सेमी। अतः पी०सी० का कार्य पूर्व की भांति होना चाहिये। लम्बे समय से लंबित भुगतान तुरन्त हो आपदा कार्यों का व वार्षिक अनुरक्षण भुगतान 2021-22 से अब तक लंबित है। ऑफ लाईन सिक्योरिटी डिपॉजिट का भुगतान तुरंत करने का कष्ट करें। पंजीकरण पूर्व की भांति सरल होना चाहिए/टेक्निकल स्टाफ की व सोल्वेंसी की अनिवार्यता समाप्त होनी चाहिए प्रत्येक ठेकेदार का स्थाई तौर पर टेक्निकल स्टॉफ नियुक्त करना व्यावहारिक नहीं है। पंजीकरण कम से कम 5 वर्ष तक वैध हो एवं एक प्रदेश एण्ड नियम के तहत हो। समयावृद्धि वेरियेशन व एक्स्ट्रा आईटम की प्रक्रिया पूर्व की भांति हो। ठेकेदारों के द्वारा समय से काम पूर्ण न होने पर पेनल्टी लगायी जाती है। भुगतान कार्य पूर्ण होने के एक निश्चित समय पर न होने पर ब्याज सहित भुगतान होना चाहिये। ठेकेदारों के द्वारा खनन सामग्री सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त नदी स्टॉक व क्रेशर से खरीदी जाती है जो खनन विभाग के नियमानुसार चल रहे है।

इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि ठेकेदारों से पुनः रॉयल्टी लेना तर्क संगत नहीं है। पर्वतीय क्षेत्र में कार्य स्थल से 5 से 10 किमी के दायरे में क्वेरी की अनुमति मिलनी चाहिये। एस०बी०डी० की भांति जी० पी० डब्लू०-9 के निर्णय के अधिकारी अधीक्षण अभियन्ता का होना चाहिये । जी० पी० डब्लू०-9 में संशोधन कर ठेकेदार के हित के क्लोस भी होने चाहिये। निविदा में अनुभव की सीमा नहीं होनी चाहिये सदैव ठेकेदार को काम मिले यह सम्भव नहीं है। बीमा आपदा कार्यों में लगी मशीन व लेबर को बीमा कवरेज मिलना चाहिये एवं ठेकेदार की आकस्मिक मृत्यु होने पर उनके देयक बिना अर्थदंड के भुगतान होने चाहिये। प्रत्येक कार्यदायी खण्ड में ठेकेदारों के बैठने हेतु कक्ष होने चाहिये। किसी भी शासनादेश लागू होने के बाद जो निविदा आमंत्रित होती है उनके बिलों में वह लागू होना चाहिये। निविदा धन की प्रत्याशा में नहीं, बल्कि धन प्राप्ति के बाद आमंत्रित होनी चाहिये। केंद्र पोषित योजनाओं के कार्यों में अधिक से अधिक कार्य प्रदेश के स्थानीय ठेकेदारों को मिलने चाहिये। दून ठेकेदार कल्याण समिति ने कहा कि अगर ठेकेदारों की समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं किया तो ठेकेदार निविदा बहिष्कार के साथ कार्य बहिष्कार एवं अनशन करने के लिये बाध्य होंगे। इस अवसर पर समिति के उपाध्यक्ष हरी प्रकाश शर्मा, सुशील डोभाल, सुनिल चंदेल, अजीत, टिंकू, सेन सिंह, गौरव गुलेरिया, विकास भंडारी सहित कई ठेकेदार मौजूद रहे।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!